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मेरी मंज़िल मेरा हौंसला

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डर मुझे भी लगा फांसला देख कर,  पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर,  खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई  मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर।

सभी शादी शुदा पुरुषों को समर्पित ।

उठो लाल अब आंखे खोलो बर्तन मांजो कपड़े धो लो झाड़ू लेकर फर्श साफ करो और किचेन में पोछा मारो  अलसाओ न, आंखें मूंदो सब्ज़ी काटो पकाऊ और आटा गूथो तनिक काम से तुम न हारो गमलों में तुम पानी डालो छत टंकी से गाद निकालो देखो हमसे खेल न खेलो छोड़ो मोबाइल रोटी बेलो बिस्तर सारे , धूप में डालो ख़ाली होकर अब तुम काम संभालो नहीं चलेगी अब तुम्हारी मनमानी  याद दिला दूंगी नानी तुम्हारी ये, आईं है, अजब बीमारी सब पतियों पे विपदा भारी!!!!!

"कुछ लोग सोचते हे हक़ीक़त बदल गयी"

उल्फत बदल गयी, कभी नियत बदल गयी। खुदगर्ज़ जब हुए, तो फिर सीरत बदल गयी। अपना कसूर, दूसरों के सर पे डाल कर। कुछ लोग सोचते हे, हक़ीक़त बदल गयी। 

जिद करना सिखो

जो लिखा नहीं हे मुक़दर में उसे हासिल करना सीखो